News 99 हाल ही में 8 साल के एक बच्चे ने ऑनलाइन ऑर्डर कर एके-47 मंगा ली। नीदरलैंड में रहने वाली एक महिला बारबरा जमेन ने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि कैसे उसका बच्चा साइबर अपराध की दुनिया का हिस्सा बन गया है। महिला की मानें तो उसके 8 वर्षीय बेटे ने उसकी जानकारी के बिना ऑनलाइन एके-47 खरीद डाली। जब ये राइफल घर पहुंची तो उसी आपकी आंखों पर विश्वाश ही नहीं हुआ।
जांच में पता चला कि इसके पीछे इंटरनेट की काली दुनिया डार्क वेब थी, जहां धड़ल्ले से इस तरह के अवैध काम होते हैं। डार्क वेब पर मौजूद कंटेंट किसी कानून के दायरे में नहीं आता. इसके जरिए ड्रग्स, हथियार सहित तमाम गैरकानूनी काम होते हैं। महिला ने एक चैनेल को बताया कि उनके बेटे ने बेहद कम उम्र से ही हैकिंग शुरू कर दी थी और बिना भुगतान किए ऑनलाइन चीजें ऑर्डर करने लगा था। पहले यह फ्री पिज्जा जैसी छोटी-मोटी चीजें हुआ करती थीं, लेकिन अब वह डार्क वेब तक पहुंच गया है जो की बेहद खतरनाक है। महिला ने बताया कि जब हम बेटे के कमरे में जाते वो ऑनलाइन गेम्स खेलते वक्त कोड वर्ड में बात करता रहता था।
मां के कमरे में आने की जानकारी साथियों को देने के लिए वह ‘पीट इज कमिंग टू अवर प्लेस ’ जैसे कोड लिख देता था। वह पकड़ा ना जाए इसके लिए उसने गन को पोलैंड से बुल्गेरिया के रास्ते घर मंगवाया था। बारबरा ने तुरंत इस राइफल स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया है, हालांकि कम उम्र के चलते उनके बेटे पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई। वह कहती हैं कि आजकल बच्चों को साइबर क्राइम का शिकार बनाना बेहद आसान हो गया है। सभी बच्चों के पास लैपटॉप और मोबाइल हैं, एक अनजान क्लिक से वो हैकर्स के चंगुल में फंस जाते हैं। बच्चों को समझाएं कि सोशल मीडिया जो जिंदगी को आसान बनाती है, वो उतनी ही मुसीबत अपने साथ लेकर आती है। पेरेंट्स अपने जन्मदिन या बच्चों के जन्मदिन,शादी की सालगिरह,या कार नंबर ऐसे नंबरों का पासवर्ड कभी नहीं बनाएं। इससे ठगी के संभावना अधिक रहती है।
ऑनलाइन शॉपिंग के लिए हमेशा उस प्रोडक्ट की डिटेल्स को अच्छी तरह से पढ़कर समझना चाहिए, यही बात बच्चों को भी समझाएं। बैंक डिटेल्स और ओटीपी जैसी जानकारियां किसी के साथ साझा न करें। सॉफ्टवेयर को नियमित तौर पर अपडेट करते रहें। पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से बचें। बच्चों को बताएं कि गुमनाम नंबर से आए प्राइज जीतने वाले मेसेज और ईमेल पर ग़लती से भी क्लिक न करें। मालूम हो कि आज बच्चे की परवरिश से ज्यादा उसे मोबाइल फोन से दूर रखना मां- बाप के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। लाख कोशिशों के बावजूद भी बच्चे फोन से दूर रह ही नहीं पाते।